2024 united states elections: डोनाल्ड ट्रंप का ‘युद्धों’ पर संदेश  जीत के बाद दिये भाषण में दिखी नई नीतियों की झलक

डोनाल्ड ट्रंप, जो 2016 से 2020 के बीच अमेरिका के राष्ट्रपति रहे थे, ने उस दौरान एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन से सिंगापुर में मुलाकात की थी। यह उस समय अंतरराष्ट्रीय राजनीति का एक महत्वपूर्ण मोड़ था, क्योंकि यह पहली बार था कि किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने उत्तर कोरियाई नेता से व्यक्तिगत मुलाकात की।

अब एक बार फिर ट्रंप व्हाइट हाउस में लौटने के लिए तैयार हैं, और उन्होंने अपनी विजय भाषण में स्पष्ट किया कि उनकी प्राथमिक नीतियों में से एक वैश्विक स्तर पर युद्धों को समाप्त करना होगा। हालाँकि उन्होंने यह नहीं बताया कि वे किस क्षेत्र में शांति स्थापित करने पर ध्यान देंगे, लेकिन भू-राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार यूक्रेन और इज़राइल पर उनका विशेष फोकस हो सकता है।

ट्रंप ने अपने भाषण में कहा, “मैं युद्ध शुरू नहीं करने जा रहा, मैं युद्ध समाप्त करूंगा।” उन्होंने यह भी जोड़ा, “चार साल तक हमारे कार्यकाल में कोई युद्ध नहीं हुआ। हाँ, हमने ISIS को जरूर हराया।”

उत्तर कोरिया से संबंधों में नया अध्याय

पिछले कार्यकाल में डोनाल्ड ट्रंप का फोकस उत्तर कोरिया के साथ संबंध सुधारने पर भी था। किम जोंग उन के साथ उनकी मुलाकात और संबंध सुधार की कोशिशों को अमेरिका की नई दिशा के रूप में देखा गया। अब उनके दोबारा सत्ता में आने पर यह देखना जीमहत्वपूर्ण होगा कि क्या वे इस दिशा में और कदम उठाते हैं या फिर नई नीतियों की ओर बढ़ते हैं।

यूक्रेन की चिंता और रूस का प्रभाव

जैसे ही चुनाव परिणाम आने शुरू हुए, यूक्रेन में लोगों ने चिंता के साथ खबरों पर नज़र रखी। उन्हें डर है कि ट्रंप की वापसी से रूस के खिलाफ जारी अमेरिका की मदद पर असर पड़ सकता है, जो उनके लिए नाज़ुक स्थिति पैदा कर सकती है। यूक्रेन की सेना पहले से ही संसाधनों और संख्या में रूस की सेना से काफी कमज़ोर है, और रूस ने हाल ही में उत्तर कोरिया से गठबंधन मज़बूत किया है।

यूक्रेन के पूर्व राजदूत ओलेग शाम्शूर ने कहा कि “ट्रंप की जीत हमारे लिए एक गंभीर ख़तरा पैदा कर सकती है। हालात सचमुच चिंताजनक हो सकते हैं।”

नाटो का समर्थन और यूक्रेन का भविष्य

पिछले कुछ सालों में अमेरिका ने यूक्रेन का साथ देते हुए नाटो के माध्यम से सैन्य और वित्तीय मदद उपलब्ध करवाई है, जिससे वे रूस जैसी बड़ी शक्ति के खिलाफ खड़े हो सके। लेकिन यूरोप और अमेरिका में हाल ही में इस समर्थन में कुछ गिरावट देखी गई है, और ट्रंप के सत्ता में लौटने के बाद यह और भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

ट्रंप ने बार-बार यूक्रेन के लिए अमेरिकी समर्थन की आलोचना की है और यहाँ तक कहा है कि वे इस युद्ध को 24 घंटों में समाप्त कर सकते हैं। इस तरह के बयानों ने यूक्रेन में आशंकाओं को और बढ़ा दिया है।

ट्रंप का आयात कर (इंपोर्ट ड्यूटी) लगाने का इरादा: पूरी दुनिया को चुनौती?

ट्रंप का एक और विवादास्पद प्रस्ताव विश्व स्तर पर सभी देशों से आयातों पर कर लगाने का है, चाहे वह मित्र देशों से हो या प्रतिद्वंद्वी देशों से। उन्होंने यह नीति कई कूटनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए बनाई है, जिसमें चीन को नियंत्रित करना, डॉलर की भूमिका को सुरक्षित करना और अवैध आप्रवासन को रोकना शामिल है। उन्होंने कहा कि “टैरिफ सबसे खूबसूरत शब्द है” और इसे वे एक हथियार की तरह उपयोग करेंगे।

यूरोपीय संघ जैसी कुछ संस्थाएं पहले से ही संभावित जवाबी कार्रवाई की तैयारियाँ कर रही हैं, ताकि अगर ट्रंप की नीतियां सच साबित होती हैं तो वे उनसे निपट सकें। इसके साथ ही, यह मुद्दा ब्रिटेन के लिए भी पेचीदा हो सकता है, कि वे किस ओर खड़े होंगे – अमेरिका का साथ देंगे या शांति स्थापित करने की कोशिश करेंगे।

विश्व नेताओं की प्रतिक्रियाएँ

ट्रंप की ऐतिहासिक जीत पर वैश्विक नेताओं से भी प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं। जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज़ ने ट्रंप को बधाई देते हुए कहा कि उनका देश अमेरिका के साथ “समृद्धि और स्वतंत्रता” के लिए काम करेगा।

यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयन ने लिखा, “मैं डोनाल्ड जे. ट्रंप को हार्दिक बधाई देती हूँ।” वहीं दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति यून सुक योल ने कहा कि “दक्षिण कोरिया-अमेरिका गठबंधन का भविष्य और अधिक उज्ज्वल होगा।” भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रंप की जीत को “ऐतिहासिक चुनावी विजय” बताते हुए कहा कि वे दोनों देशों के सहयोग को फिर से मजबूत करने के लिए उत्सुक हैं।

इस प्रकार, ट्रंप की विजय के साथ अमेरिकी और वैश्विक राजनीति में कई बड़े बदलाव की संभावनाएँ बन रही हैं। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ट्रंप अपने वादों के अनुसार युद्धों को समाप्त करने के कदम उठाते हैं या उनके नीतिगत फैसलों से दुनिया एक नए संघर्ष की ओर बढ़ती है।

 

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