Anshuman Gaekwad का निधन: भारतीय टीम के पूर्व कोच का निधन, कैंसर से लंबे समय तक की लड़ाई
भारतीय क्रिकेट के एक सच्चे दिग्गज, अंशुमन गायकवाड़ का हाल ही में निधन हो गया। क्रिकेट जगत में ‘चार्ली’ के नाम से मशहूर गायकवाड़ को उनके दोस्तों और प्रशंसकों के बीच बेहद पसंद किया जाता था। वह खेल के मैदान पर जितने कठोर थे, उतने ही प्यारे और मिलनसार इंसान भी थे। यह दुर्लभ मिश्रण न केवल क्रिकेट में बल्कि जीवन के अन्य पहलुओं में भी देखा जाता है।
कठिनाइयों से जूझते हुए यात्रा
गायकवाड़ अपने समय के सबसे युवा प्रथम श्रेणी कप्तानों में से एक थे। हालांकि, उन्होंने कभी भी भारतीय टीम की कप्तानी नहीं की। इसके पीछे कई कारण थे। सबसे प्रमुख यह कि उनके करियर के दौरान भारत ने 90 टेस्ट खेले, जिनमें से गायकवाड़ सिर्फ 40 मैचों में ही टीम का हिस्सा थे। इसके अलावा, एक युवा खिलाड़ी कपिल देव ने उस समय कप्तानी का पद संभाल लिया था। गायकवाड़ के पिता, दत्ताजीराव गायकवाड़ ने भी 1959 में इंग्लैंड के दौरे पर भारत की कप्तानी की थी, जो परिवार की क्रिकेट में गहरी जड़ों का प्रमाण है।
भारतीय क्रिकेट के लिए योगदान
अंशुमन गायकवाड़ ने खेल की बारीकियों और उसकी समझ के साथ भारतीय क्रिकेट में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने मैनेजर, चयनकर्ता और बीसीसीआई की सर्वोच्च परिषद के सदस्य के रूप में काम किया। उनकी आवाज़ भारतीय क्रिकेट को एक नई दिशा देने में सहायक रही। उनकी सलाह और प्रेरक विचारों ने कई युवा खिलाड़ियों को प्रभावित किया और भारतीय क्रिकेट को ऊंचाईयों पर पहुंचाया।
कैंसर से लड़ाई और बीसीसीआई की मदद
अंशुमन गायकवाड़ लंबे समय से कैंसर से जूझ रहे थे। उनके पास इलाज के लिए पर्याप्त धन नहीं था, ऐसे में बीसीसीआई ने उनके इलाज के लिए 1 करोड़ रुपये की मदद की। यह क्रिकेट बोर्ड की तरफ से एक महत्वपूर्ण कदम था, जो यह दर्शाता है कि क्रिकेट परिवार अपने सदस्यों के प्रति कितना संवेदनशील है। बीसीसीआई सचिव जय शाह ने गायकवाड़ के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, “श्री अंशुमन गायकवाड़ के परिवार और दोस्तों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं। यह पूरे क्रिकेट जगत के लिए एक हृदयविदारक क्षण है।”
दो बार भारतीय टीम के कोच
गायकवाड़ ने अपने क्रिकेट करियर में भारत के लिए 1975 से 1987 तक क्रिकेट खेला। उन्होंने 40 टेस्ट और 15 वनडे मैच खेले। इसके अलावा, वह दो बार भारतीय टीम के कोच रहे। पहली बार 1997 से 1999 तक और दूसरी बार 2000 में। कोच के रूप में उनके कार्यकाल में टीम इंडिया ने कई महत्वपूर्ण जीत दर्ज की, जिससे भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाईयां मिलीं।
क्रिकेट करियर के आंकड़े
अगर हम अंशुमन गायकवाड़ के क्रिकेट करियर की बात करें तो उन्होंने 40 टेस्ट मैचों की 70 पारियों में 30.07 की औसत से 1985 रन बनाए। उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 10 अर्धशतक और 2 शतक लगाए। इसके अलावा, उन्होंने 15 वनडे मैचों की 14 पारियों में 269 रन बनाए, जिसमें एक अर्धशतक भी शामिल है। वनडे में उनका सर्वाधिक स्कोर नाबाद 78 रन रहा। बल्लेबाजी के अलावा, उन्होंने टेस्ट और वनडे में एक-एक विकेट भी लिया।
अंशुमन गायकवाड़ का विरासत
गायकवाड़ के निधन से क्रिकेट जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। उन्होंने अपनी खेल भावना, नेतृत्व कौशल और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण के जरिए एक अमिट छाप छोड़ी। भारतीय क्रिकेट को नई दिशा देने और खिलाड़ियों को प्रेरित करने के लिए उनका योगदान अमूल्य था। उनकी आत्मा को शांति मिले, और उनके परिवार और दोस्तों को इस कठिन समय में धैर्य और साहस मिले।
अंशुमन गायकवाड़ के नाम का जिक्र होते ही क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में उनकी यादें ताजा हो जाती हैं। उनकी जिंदगी और क्रिकेट करियर से हम सभी को यह सीखने को मिलता है कि किस तरह मुश्किल परिस्थितियों में भी साहस और धैर्य से आगे बढ़ा जा सकता है। उनकी कमी भारतीय क्रिकेट और उनके चाहने वालों के बीच हमेशा खलेगी, लेकिन उनके द्वारा स्थापित किए गए आदर्शों और मूल्यों को आने वाली पीढ़ियां आगे बढ़ाएंगी।