अमेरिकी प्रवासियों के समर्पण पर संदेह नहीं, भारत का संदेश ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना को दोहराता है: Rajnath Singh
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में अमेरिका में भारतीय प्रवासियों को संबोधित करते हुए एक गहरा और प्रेरणादायक संदेश दिया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय कभी धोखा नहीं दे सकते, क्योंकि धोखा देना भारतीय संस्कृति और चरित्र का हिस्सा नहीं है। उन्होंने कहा, “हम भले ही धोखा खा जाएं, लेकिन धोखा देना हमारी फितरत में नहीं है।” यह वक्तव्य न केवल भारतीयों की सच्चाई और ईमानदारी को दर्शाता है, बल्कि दुनिया भर में भारतीयों की प्रतिष्ठा को भी बढ़ाता है।
राजनाथ सिंह ने प्रवासी भारतीयों से आग्रह किया कि वे जहाँ भी रहें, अपने कर्तव्यों को पूरी ईमानदारी और समर्पण के साथ निभाएं। उन्होंने कहा कि अमेरिका में रहने और काम करने वाले भारतीयों के प्रति अमेरिका की निष्ठा पर सवाल नहीं उठना चाहिए। यह वक्तव्य भारत और अमेरिका के बीच संबंधों की गहराई को दर्शाता है, जहाँ दोनों देश एक दूसरे के प्रति सम्मान और विश्वास का आदान-प्रदान करते हैं।
उन्होंने कहा, “आपको भारत के प्रति समर्पित होना चाहिए, लेकिन चूंकि आप यहां काम कर रहे हैं, इसलिए अमेरिका के प्रति आपके समर्पण पर भी सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए। तभी भारतीयों की धारणा अच्छी होगी।” इस वक्तव्य से यह स्पष्ट होता है कि एक सच्चे भारतीय के रूप में हमारी जिम्मेदारी न केवल अपने देश के प्रति बल्कि उस देश के प्रति भी है जहाँ हम काम कर रहे हैं।
‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का संदेश:
राजनाथ सिंह ने भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के संदेश पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत ही एक ऐसा देश है जिसने दुनिया को यह सिखाया कि पूरा विश्व एक परिवार है। भारत की यह अद्वितीय सोच हमें अन्य देशों से अलग बनाती है और हमें एक आध्यात्मिक राष्ट्र के रूप में स्थापित करती है। “हम वो देश हैं जिसने पूरी दुनिया को ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का संदेश दिया है। हमारे देश में रहने वाले लोग सिर्फ हमारे परिवार के सदस्य नहीं हैं, बल्कि दुनिया के सभी लोग, चाहे उनकी जाति, धर्म या समुदाय कुछ भी हो, एक ही परिवार के सदस्य हैं।”
अमेरिकी यात्रा और रक्षा सहयोग:
अपनी अमेरिकी यात्रा के दौरान, राजनाथ सिंह ने अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन और राष्ट्रपति के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन से मुलाकात की। इन बैठकों के दौरान, भारत और अमेरिका ने दो महत्वपूर्ण रक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इनमें आपूर्ति सुरक्षा व्यवस्था (SOSSA) और संपर्क अधिकारियों की नियुक्ति के संबंध में समझौता ज्ञापन शामिल हैं।
एसओएसए के तहत, दोनों देश रक्षा वस्तुओं और सेवाओं के लिए पारस्परिक प्राथमिकता समर्थन प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस समझौते का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आवश्यक औद्योगिक संसाधनों के अधिग्रहण को सुविधाजनक बनाना और आपूर्ति श्रृंखला में आने वाले बाधाओं को दूर करना है।
भारत और अमेरिका के बीच यह सहयोग केवल औद्योगिक आधार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दोनों देशों के बीच मजबूत रक्षा संबंधों की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है। भारत अब 18 SOSA भागीदारों की सूची में शामिल हो गया है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जापान और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों के नाम शामिल हैं। यह साझेदारी न केवल भारत की रक्षा प्रणाली को मजबूत करेगी बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भी स्थिरता लाएगी।
इसके अलावा, संपर्क अधिकारियों की नियुक्ति पर हस्ताक्षर किए गए समझौता ज्ञापन से दोनों देशों के बीच संयुक्त सेवा सहयोग और सूचनाओं के आदान-प्रदान में सुधार होगा। यह समझौता दोनों देशों के सैन्य संगठनों के बीच सहयोग को और अधिक प्रभावी बनाने में मदद करेगा।
राजनाथ सिंह की इस यात्रा और उनके संदेश ने एक बार फिर यह साबित किया कि भारत और अमेरिका के बीच रिश्ते कितने महत्वपूर्ण और मजबूत हैं। प्रवासी भारतीयों के प्रति उनके संदेश ने न केवल भारतीयों को अपने देश के प्रति गर्व महसूस कराया, बल्कि अमेरिका में उनकी ईमानदारी और समर्पण को भी सराहा गया। ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का संदेश देते हुए राजनाथ सिंह ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत केवल एक देश नहीं, बल्कि एक विचारधारा है, जो पूरी दुनिया को एक परिवार मानती है। ऐसे में, भारत और अमेरिका के बीच यह साझेदारी भविष्य में और भी मजबूत होगी, जिसका लाभ न केवल इन दोनों देशों को बल्कि पूरी दुनिया को मिलेगा।