“स्वाति मालीवाल का हमला: Atishi marlena को CM बनाना देश की सुरक्षा के लिए खतरा”
दिल्ली की नई मुख्यमंत्री आतिशी मार्लेना: स्वाति मालीवाल का केजरीवाल पर तंज—’जिसके पिता ने अफजल गुरु को बचाने की कोशिश की, उसे CM बनाया’
दिल्ली की राजनीति में एक बड़ा उलटफेर देखने को मिला है, जहां आतिशी मार्लेना को दिल्ली की नई मुख्यमंत्री चुना गया है। इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए आम आदमी पार्टी (AAP) की पूर्व नेता और राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने अरविंद केजरीवाल पर तंज कसा है। उन्होंने आतिशी को मुख्यमंत्री बनाए जाने को दिल्ली के लिए “दुखद दिन” करार दिया।
स्वाति मालीवाल का तंज
स्वाति मालीवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “आज दिल्ली के लिए बेहद दुखद दिन है। यहां की मुख्यमंत्री एक ऐसी महिला को बनाया गया है जिनके परिवार ने आतंकवादी अफजल गुरु को फांसी से बचाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। उनके माता-पिता ने राष्ट्रपति को दया याचिकाएं भेजीं और अफजल गुरु को निर्दोष साबित करने की कोशिश की।”
उन्होंने आतिशी को ‘डमी मुख्यमंत्री’ करार देते हुए लिखा, “आतिशी के माता-पिता के हिसाब से अफजल गुरु निर्दोष था और उसे राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया गया था। वैसे तो आतिशी सिर्फ ‘डमी सीएम’ हैं, फिर भी ये मुद्दा देश की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। भगवान दिल्ली की रक्षा करे।”
स्वाति मालीवाल और आतिशी का पुराना विवाद
स्वाति मालीवाल और आतिशी के बीच विवाद नया नहीं है। इससे पहले भी दोनों के बीच तीखी जुबानी जंग देखी गई है। जब स्वाति मालीवाल ने सीएम हाउस में अपने पूर्व पीए विभव राय पर मारपीट का आरोप लगाया था, तब आतिशी ने उन पर पलटवार किया था। आतिशी ने आरोप लगाया था कि स्वाति मालीवाल अवैध भर्ती मामले में फंसी हैं और गिरफ्तारी से बचने के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) से मिलीभगत कर अरविंद केजरीवाल के खिलाफ साजिश रच रही हैं।
आतिशी की मुख्यमंत्री बनने की कहानी
मंगलवार को आम आदमी पार्टी के विधायक दल की बैठक में आतिशी को दिल्ली की अगली मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय लिया गया। 15 सितंबर को अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया था। उन्होंने कहा था कि जब तक जनता उन्हें नहीं चुनती, वे इस पद पर नहीं बने रहेंगे।
आतिशी की छवि केजरीवाल के सबसे भरोसेमंद नेताओं में से एक के रूप में है। उन्हें पहली बार 2020 के विधानसभा चुनाव में विधायक चुना गया था, लेकिन उन्हें मंत्री पद नहीं मिला था। मनीष सिसोदिया के जेल जाने के बाद 2023 में उन्हें मंत्री बनाया गया था, और अब वे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर हैं।
केजरीवाल और आतिशी का राजनीतिक सफर
अरविंद केजरीवाल और आतिशी मार्लेना के बीच राजनीतिक संबंध गहरे हैं। आतिशी ने दिल्ली के शिक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिससे उन्हें जनता के बीच अच्छी खासी पहचान मिली। उनकी रणनीतियों और कार्यों ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों की सूरत बदल दी है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री पद पर उनका चयन बताता है कि केजरीवाल के पास विश्वासपात्र नेताओं की कमी हो गई है। मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के जेल जाने के बाद, आतिशी का राजनीतिक कद तेजी से बढ़ा है। शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला कल्याण जैसे विभागों में आतिशी का योगदान रहा है, जिससे उनकी छवि एक सशक्त नेता की बनी है।
विपक्ष का हमला
विपक्ष ने आतिशी की नियुक्ति को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। स्वाति मालीवाल के आरोपों ने इस विवाद को और तूल दिया है। आतिशी के माता-पिता द्वारा अफजल गुरु के पक्ष में दया याचिका दायर करने का मुद्दा लगातार उनके खिलाफ उछाला जाता रहा है।
हालांकि आतिशी ने इस मुद्दे पर कभी खुलकर प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन उनके समर्थक इस आरोप को राजनीतिक षड्यंत्र बताते हैं। उनके अनुसार, आतिशी की योग्यता और उनके कार्यों को ध्यान में रखते हुए ही उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी गई है।
चुनावी चुनौती
आतिशी की असली चुनौती अगले साल फरवरी में होने वाले विधानसभा चुनाव होंगे। दिल्ली की जनता का मूड इस समय क्या है, यह कहना मुश्किल है, लेकिन आतिशी को अपनी छवि को और अधिक सुदृढ़ करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। उनके खिलाफ उठ रहे आरोपों के बावजूद, उनके काम और छवि के चलते आम आदमी पार्टी को उम्मीद है कि वे जनता का विश्वास जीत पाएंगी।
स्वाति मालीवाल और भाजपा का रोल
स्वाति मालीवाल के बयान को भाजपा के एक बड़े हिस्से का समर्थन मिलता दिख रहा है। भाजपा लंबे समय से अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी पर आतंकी संगठनों से सहानुभूति रखने के आरोप लगाती रही है। स्वाति मालीवाल के बयान ने इस बहस को और गरम कर दिया है।
आतिशी मार्लेना का दिल्ली की मुख्यमंत्री बनना राजनीतिक और सामाजिक दोनों ही दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। एक तरफ यह अरविंद केजरीवाल की विश्वासपात्र टीम का विस्तार है, वहीं दूसरी ओर यह एक नई चुनौती भी है।
स्वाति मालीवाल के आरोप और विपक्ष की आलोचनाओं के बावजूद, आतिशी को अपनी छवि को बेहतर करने और जनता के बीच अपनी स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए काम करना होगा। अगले साल के विधानसभा चुनावों में यह देखना दिलचस्प होगा कि आतिशी किस प्रकार से इन चुनौतियों का सामना करती हैं और अपने नेतृत्व को साबित करती हैं।