“CTRL Movie Review: मनोरंजन और हकीकत के बीच झूलती एक अनोखी कहानी”
विक्रमादित्य मोटवाने की नई फिल्म CTRL एक ऐसा अनुभव है, जिसे एक विशेष श्रेणी में डालना मुश्किल है। यह फिल्म मनोरंजक भी है और सोचने पर मजबूर करने वाली भी, जो डिजिटल दुनिया के खतरों और व्यक्तिगत नियंत्रण पर गंभीर सवाल उठाती है। CTRL ने यह साबित कर दिया है कि मोटवाने पारंपरिक जॉनर को उलट-पलट करने में महारथ रखते हैं। जैसे उन्होंने अपनी पिछली फिल्मों Trapped, Bhavesh Joshi Superhero और AK vs AK में किया था, वैसे ही इस बार भी उन्होंने इस फिल्म के माध्यम से एक नया प्रयोग किया है।
फिल्म की कहानी एक डिजिटल दुनिया में बसती है, जो वास्तविकता से कहीं दूर है। इसमें दिखाया गया है कि हम जो वर्चुअल पर्सनालिटी और डिजिटल रिश्ते बनाते हैं, उनका हमारे असली जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है। CTRL की नायिका नेल्ला अवस्थी (अनन्या पांडे) एक युवा दिल्ली की लड़की है, जो मुंबई में 6 साल से रह रही है। उसका जीवन सोशल मीडिया, ब्रांड्स, और लाइक्स के इर्द-गिर्द घूमता है, लेकिन उसे जल्द ही समझ में आता है कि जिंदगी सिर्फ रील्स और फॉलोअर्स तक सीमित नहीं है।
यह फिल्म हमें डिजिटल दुनिया की असलियत दिखाने की कोशिश नहीं करती, बल्कि हमें यह याद दिलाती है कि हर कोई इस दुनिया के जोखिमों से अच्छी तरह वाकिफ है। CTRL के निर्देशक और लेखक अविनाश संपथ ने इसे एक स्क्रीनलाइफ थ्रिलर के रूप में प्रस्तुत किया है, जो तेजी से आगे बढ़ती है और कभी भी दर्शकों को सोचने का मौका नहीं देती। अनन्या पांडे का अभिनय यहाँ काबिले तारीफ है, जो एक आत्मविश्वास से भरी लड़की के किरदार को बेहतरीन तरीके से निभाती हैं।
नेल्ला और जो का रिश्ता
फिल्म में नेल्ला का रिश्ता उसके बॉयफ्रेंड जो मस्कारेन्हास (विहान समत) के साथ दिखाया गया है। दोनों सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स हैं, जिनका चैनल NJoy लगातार सफलता की ओर बढ़ रहा है। यह चैनल नेल्ला के चेहरे और जो की टेक्निकल नॉलेज पर टिका हुआ है। फिल्म की शुरुआत में नेल्ला और जो का रिश्ता आदर्श लगता है। लोग उन्हें देखते हुए ईर्ष्या और प्रशंसा दोनों करते हैं। लेकिन, जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, चीजें बदलने लगती हैं।
नेल्ला का जीवन तब पूरी तरह से बदल जाता है जब वह अपने और जो के रिश्ते की पांचवीं वर्षगांठ पर उसे सरप्राइज देना चाहती है। इस दौरान, उसका लाइवस्ट्रीमिंग सेटअप गलती से जो की बेवफाई को कैमरे में कैद कर लेता है। इसके बाद, नेल्ला ट्रोल्स का शिकार बन जाती है और उसे अपने ब्रेकअप के लिए दोषी ठहराया जाता है।
AI की दुनिया में प्रवेश
अपने टूटे दिल और खराब अनुभवों से उबरने के लिए नेल्ला एक AI प्लेटफार्म CTRL का सहारा लेती है। यहाँ से फिल्म की असली कहानी शुरू होती है, जब नेल्ला CTRL के AI असिस्टेंट, जिसे वह ऐलन (अपारशक्ति खुराना की आवाज़) नाम देती है, की मदद से अपने जीवन पर नियंत्रण वापस पाने की कोशिश करती है। ऐलन नेल्ला की सभी पुरानी तस्वीरों और वीडियोज से जो की मौजूदगी को मिटा देता है, और एक समय ऐसा आता है जब नेल्ला को लगता है कि उसने अपने अतीत को पूरी तरह से खत्म कर दिया है।
लेकिन क्या डिजिटल दुनिया में किसी की यादों को मिटाना असल जिंदगी में भी उसे भुलाने के बराबर है? यह सवाल फिल्म के केंद्र में है। धीरे-धीरे नेल्ला को अहसास होता है कि उसने अपने जीवन पर से नियंत्रण खो दिया है और अब वह एक ऐसी आभासी शक्ति के अधीन है जिसे वह समझ भी नहीं सकती।
फिल्म का टेक्निकल पक्ष
फिल्म के संवाद सुमुखी सुरेश द्वारा लिखे गए हैं, जो काफी प्रभावी हैं और कहानी को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं। प्रतीक शाह की सिनेमैटोग्राफी और जहान नोबल की एडिटिंग फिल्म की गति को नियंत्रित करते हैं। फिल्म के ज्यादातर हिस्से डिजिटल इंटरैक्शन के जरिए दिखाए गए हैं, जो आज के दौर की सोशल मीडिया-संचालित दुनिया को अच्छी तरह से प्रतिबिंबित करते हैं।
CTRL में दिखाया गया है कि कैसे टेक्नोलॉजी हमें जितना जोड़ती है, उतना ही हमें अलग भी करती है। नेल्ला का जीवन, जो पहले उसके नियंत्रण में था, अब पूरी तरह से एक डिजिटल असिस्टेंट के हाथों में है। फिल्म का अंतिम संदेश यह है कि डिजिटल दुनिया में नियंत्रण का मतलब हमेशा व्यक्तिगत आजादी नहीं होता, बल्कि कभी-कभी यह हमारी असली जिंदगी को और भी उलझा देता है।
CTRL एक ऐसी फिल्म है जो न केवल मनोरंजक है बल्कि सोचने पर मजबूर भी करती है। यह फिल्म आज के डिजिटल युग के खतरों पर एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण पेश करती है। विक्रमादित्य मोटवाने ने इसे एक नए और अनोखे तरीके से पेश किया है, जो दर्शकों को लंबे समय तक याद रहेगा। यह फिल्म उन लोगों के लिए है, जो टेक्नोलॉजी और इसके प्रभावों पर गहराई से विचार करना चाहते हैं।
CTRL मनोरंजन और गंभीरता का बेहतरीन मिश्रण है, जो आपको कभी हंसाता है और कभी सोचने पर मजबूर करता है।