Gautam Gambhir की कोचिंग में भारत का प्रदर्शन: चुनौतीपूर्ण शुरुआत और भविष्य की तैयारी

भारत की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के कप्तान रोहित शर्मा ने न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज़ में 3-0 की हार के बाद कोचिंग स्टाफ, विशेषकर Gautam Gambhir के साथ खिलाड़ियों के संबंधों पर खुलकर अपनी राय दी। उन्होंने कहा कि कोचिंग स्टाफ नई भूमिका में है और वे अभी टीम के काम करने के तरीके को समझने का प्रयास कर रहे हैं।

भारत की टीम और कोचिंग स्टाफ के लिए हालात मुश्किल होते जा रहे हैं, और इस साल घर पर 3-0 से पहली बार व्हाइटवॉश का सामना करना पड़ा है। भारतीय बल्लेबाजों ने बल्ले से बेहद खराब प्रदर्शन किया, विशेष रूप से स्पिनरों के खिलाफ असफल रहे। न्यूजीलैंड की टीम ने तीनों मैचों में भारत को पूरी तरह से मात दी, और भारतीय बल्लेबाजी इस हार में सबसे बड़ी कमी साबित हुई।

रोहित शर्मा का कोचिंग स्टाफ पर विचार

रोहित शर्मा ने यह भी माना कि कोचिंग स्टाफ नए है और अभी वे भी टीम के साथ तालमेल बिठाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “हां, कोचिंग स्टाफ अच्छा है। वे अभी-अभी आए हैं, उनके लिए यह नया अनुभव है। यह खिलाड़ियों की जिम्मेदारी है कि वे उनकी योजनाओं पर ध्यान दें और उसे समझें ताकि टीम एक साथ आगे बढ़ सके।”

गौतम गंभीर के शुरुआती दिनों में टीम का प्रदर्शन

रोहित शर्मा ने यह भी कहा कि कोचिंग स्टाफ को कुछ ही महीने हुए हैं और किसी नतीजे पर पहुंचना जल्दबाजी होगी। उन्होंने जोर देते हुए कहा, “यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि कोचिंग स्टाफ का प्रदर्शन कैसा है। केवल चार-पाँच महीने हुए हैं और उन्हें खिलाड़ियों के साथ तालमेल बैठाने का मौका मिलना चाहिए।”

इस हार के बाद, भारतीय चयन समिति के अध्यक्ष अजीत अगरकर ने भी गंभीर और सहायक कोच अभिषेक नायर के साथ मैदान पर बातचीत की। उनके बीच लगभग 15 मिनट की चर्चा देखी गई, जिसमें इस शर्मनाक हार के कारणों पर ध्यान दिया गया। अगरकर और गंभीर की इस बातचीत से यह सवाल उठता है कि क्या भारतीय बल्लेबाजी लाइनअप में कमजोरियों को दूर करने के उपायों पर विचार किया जा रहा है।

भारत की बल्लेबाजी में गिरावट और स्पिन के खिलाफ संघर्ष

सीरीज़ के दौरान, भारतीय बल्लेबाजों ने न्यूजीलैंड के स्पिन गेंदबाजों के सामने बेहद निराशाजनक प्रदर्शन किया। अतीत में, भारतीय बल्लेबाज स्पिनरों के खिलाफ बेखौफ खेलते थे, चाहे वह शेन वॉर्न हों या मुथैया मुरलीधरन। लेकिन इस सीरीज़ में 37 विकेट स्पिनरों के हाथों गिरे, जो टीम की कमजोरी को दर्शाता है। दूसरी ओर, अजाज़ पटेल ने मुंबई टेस्ट में 11 विकेट लेकर भारतीय बल्लेबाजों को बुरी तरह से पराजित किया।

गौतम गंभीर के लिए कठिनाइयाँ और चुनौतियाँ

राहुल द्रविड़ और रवि शास्त्री जैसे सफल कोचों के पदचिन्हों पर चलना गौतम गंभीर के लिए आसान नहीं है। गंभीर के कार्यकाल में यह दूसरी बार है जब टीम को इस तरह की शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा है। इससे पहले, श्रीलंका में भी भारत ने 0-3 से सीरीज़ गवाई थी। गंभीर के लिए यह चुनौती है कि वे जल्द से जल्द टीम के प्रदर्शन में सुधार लाएं, नहीं तो यह गिरावट गंभीर परिणाम दे सकती है।

आस्ट्रेलिया दौरे पर बड़ी चुनौती

तीन हफ्तों में ही भारतीय टीम विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल की दौड़ में गंभीर दावेदार से हारकर घर पर व्हाइटवॉश का सामना कर रही है। अब टीम को नवंबर 22 से शुरू होने वाली पांच टेस्ट मैचों की बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के लिए ऑस्ट्रेलिया का दौरा करना है। अगर भारत में ही बल्लेबाज इस तरह प्रदर्शन कर रहे हैं तो ऑस्ट्रेलिया में और भी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

टीम की बल्लेबाजी और विशेष रूप से स्पिन के खिलाफ प्रदर्शन सुधारने के लिए गंभीर और अगरकर को तुरंत ठोस रणनीतियों पर काम करना होगा। यह जरूरी है कि खिलाड़ी कोचों के विचारों के साथ तालमेल बिठाएं और उनकी योजनाओं का सही से पालन करें, जिससे टीम आने वाले कठिन मुकाबलों में  बेहतर प्रदर्शन कर सके।

 

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