“देवेंद्र फडणवीस ने अपनी पत्नी पर टिप्पणी करने वाले Kanhaiya Kumar को लताड़ा: ‘शर्म करो, चुल्लू भर पानी में डूब मरो'”
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) और विपक्षी ट्रोल आर्मी पर तीखा हमला किया है। उन्होंने अपनी पत्नी अमृता फडणवीस पर की गई टिप्पणियों और सोशल मीडिया पर बनाए गए मेम्स को “शर्मनाक” बताया और कहा कि ऐसे लोगों को आत्ममंथन करने की जरूरत है।
फडणवीस ने ANI को दिए बयान में कहा,
“जो मेरी पत्नी पर मेम्स बनाते हैं और अशोभनीय टिप्पणियां करते हैं, उन्हें शर्म आनी चाहिए। यह काम एक सभ्य समाज में नहीं होना चाहिए। अगर लड़ना है, तो सीधे लड़ो, इस तरह के घटिया व्यक्तिगत हमले करना कायरता है।”
विपक्ष के निजी हमलों पर कड़ी प्रतिक्रिया
पिछले पांच वर्षों में, फडणवीस और उनकी पत्नी को कई निजी हमलों का सामना करना पड़ा है। उन्होंने कहा कि विपक्ष ने उनके राजनीतिक करियर में कोई खामी नहीं पाई, इसलिए उन्होंने निजी हमलों का सहारा लिया।
उन्होंने कहा,“मेरे बालों से लेकर नाखून तक उन्होंने सबकुछ जांचा, लेकिन कुछ नहीं मिला। जब कुछ नहीं मिला, तो उन्होंने मेरे परिवार को निशाना बनाना शुरू कर दिया। यह राजनीति का निचला स्तर है।”
कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) की टिप्पणी
कन्हैया कुमार ने हाल ही में नागपुर में एक रैली के दौरान अमृता फडणवीस पर यह कहते हुए निशाना साधा कि “डिप्टी सीएम की पत्नी इंस्टाग्राम पर रील्स बना रही हैं, जबकि आम लोग धर्म बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।”
इस टिप्पणी के बाद भाजपा ने तुरंत प्रतिक्रिया दी। भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने इस बयान को मराठी महिलाओं का अपमान बताया। उन्होंने कहा,
“अमृता फडणवीस का अपमान हर मराठी महिला का अपमान है। यह राजनीति के लिए एक शर्मनाक कदम है।”
‘धर्मयुद्ध’ और ‘वोट जिहाद’ पर बयान
फडणवीस ने हाल ही में ‘धर्मयुद्ध’ की अपील करते हुए कहा था कि “लोकसभा चुनावों में एक खास समुदाय ने भाजपा को हराने के लिए वोट नहीं दिया। यह ‘वोट जिहाद’ का हिस्सा था, और इसे रोकने के लिए हिंदू एकता की आवश्यकता है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि इस वोटिंग पैटर्न के कारण धुले लोकसभा सीट पर महायुति (BJP-शिवसेना-एनसीपी गठबंधन) को हार का सामना करना पड़ा।
महायुद्ध: महायुति बनाम महाविकास अघाड़ी
20 नवंबर को महाराष्ट्र में एक बड़ा चुनावी संग्राम होने वाला है। यह लड़ाई सत्तारूढ़ महायुति (भाजपा, शिवसेना और अजित पवार गुट) और विपक्षी महाविकास अघाड़ी (कांग्रेस, शिवसेना उद्धव गुट और एनसीपी) के बीच होगी।
2019 के विधानसभा चुनावों में भाजपा और शिवसेना ने मिलकर 161 सीटें जीती थीं। लेकिन सत्ता-साझेदारी विवाद के कारण शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर महाविकास अघाड़ी सरकार बनाई। तीन साल बाद, एकनाथ शिंदे ने शिवसेना में बगावत की और भाजपा के साथ मिलकर सत्ता पर कब्जा कर लिया।
ट्रोल्स को फडणवीस की चेतावनी
फडणवीस ने सोशल मीडिया ट्रोल्स को चेतावनी देते हुए कहा,
“सच्चाई परेशान हो सकती है लेकिन पराजित नहीं। राजनीति में धैर्य जरूरी है, और मैं इस लड़ाई में जीतूंगा। मेरे विरोधी चाहे कितने भी प्रयास कर लें, उनकी झूठी राजनीति ज्यादा समय तक नहीं टिकेगी।”
व्यक्तिगत हमलों से राजनीति की दिशा बदलने की कोशिश
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर राजनीति में व्यक्तिगत हमलों और सोशल मीडिया की भूमिका पर बहस छेड़ दी है। यह घटना बताती है कि चुनावी लड़ाई अब मुद्दों से हटकर व्यक्तिगत हमलों तक सीमित हो गई है।
फडणवीस की प्रतिक्रिया से यह स्पष्ट है कि राजनीति में संयम और धैर्य कितना महत्वपूर्ण है। उनके बयान, “सच परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं,” न केवल उनकी राजनीतिक समझदारी को दिखाते हैं, बल्कि यह भी याद दिलाते हैं कि राजनीति में नैतिकता और आदर्शों की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
महाराष्ट्र का आगामी चुनाव न केवल राजनीतिक ताकतों की परीक्षा है, बल्कि यह भी देखना होगा कि यह चुनाव व्यक्तिगत हमलों और आरोप-प्रत्यारोप से परे जाकर विकास और नीतियों के आधार पर लड़ा जाता है या नहीं।
“सच्चाई परेशान हो सकती है, लेकिन पराजित नहीं।”
इस संदेश के साथ देवेंद्र फडणवीस ने राजनीतिक विरोधियों और ट्रोल्स को अपनी ताकत का अहसास करा दिया है।