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India और russia के बीच व्यापार में प्रगति: डॉ. जयशंकर

भारत-रूस व्यापार संबंधों में हालिया प्रगति पर एक नज़र

यूक्रेन युद्ध और रूस के अंतरराष्ट्रीय SWIFT भुगतान प्रणाली से बाहर होने के बाद, भारत और रूस के बीच भुगतान का मुद्दा व्यापारिक संबंधों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने हाल ही में स्काई न्यूज ऑस्ट्रेलिया की पत्रकार शारी मार्कसन से साक्षात्कार के दौरान इन चुनौतियों और प्रगति पर चर्चा की।

व्यापार में बाधाएँ और समाधान की ओर बढ़ते कदम

डॉ. जयशंकर ने 12 नवंबर, 2024 को कहा कि भारत और रूस के बीच भुगतान और लॉजिस्टिक्स से जुड़ी बाधाओं के बावजूद, इन चुनौतियों पर महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। हालांकि अभी भी सुधार की आवश्यकता है।

रूस के प्रथम उपप्रधानमंत्री डेनिस मंतुरोव ने उल्लेख किया कि पिछले पांच वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार में पांच गुना वृद्धि हुई है, और भारत अब रूस के सभी विदेशी व्यापारिक भागीदारों में दूसरे स्थान पर है।

साझा परियोजनाओं में सहयोग

डॉ. जयशंकर ने 25वें भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग में कहा, “हमारी साझा परियोजनाएँ, जैसे अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर (INSTC), चेन्नई-व्लादिवोस्तोक कॉरिडोर और उत्तरी सागर मार्ग, आगे बढ़नी चाहिए।” उन्होंने कहा कि खाद्य, ऊर्जा और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए रूस का योगदान महत्वपूर्ण है। रूस उर्वरकों, कच्चे तेल, कोयले और यूरेनियम का एक प्रमुख स्रोत बन गया है, जबकि भारत का फार्मास्यूटिकल उद्योग रूस के लिए एक सस्ता और भरोसेमंद विकल्प है।

$100 अरब व्यापार लक्ष्य पर आशा

डॉ. जयशंकर ने विश्वास जताया कि भारत-रूस व्यापार $100 अरब के लक्ष्य को 2030 से पहले ही हासिल कर लेगा। उन्होंने कहा कि $66 अरब तक व्यापार में हुई प्रगति सराहनीय है, लेकिन इसे संतुलित और सरल बनाने की आवश्यकता है।

स्थानीय मुद्राओं में व्यापार और वॉस्ट्रो खाता

यूक्रेन युद्ध के बाद बढ़ते तेल आयात के बीच, भुगतान बाधाओं को हल करने के लिए दोनों देशों ने रुपये-रूबल व्यापार को बढ़ाने और वॉस्ट्रो खाते बनाने जैसे कदम उठाए हैं।

भविष्य के लिए रणनीतिक साझेदारी

डॉ. जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “X” पर कहा, “हमारी बातचीत में भारत-रूस आर्थिक और व्यापार सहयोग, खाद्य, ऊर्जा और स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और कौशल व प्रतिभा के प्रवाह को सुगम बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।” उन्होंने यह भी कहा कि यह चर्चा हमारी रणनीतिक साझेदारी को मजबूत दिशा देगी।

ऑस्ट्रेलिया के सवाल पर भारत का रुख

डॉ. जयशंकर ने ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार शारी मार्कसन के एक सवाल का सटीक जवाब दिया, जिसमें भारत-रूस संबंधों पर ऑस्ट्रेलिया की चिंताओं का जिक्र किया गया था। उन्होंने कहा, “आज के समय में देशों के संबंध किसी एक देश तक सीमित नहीं होते।” उन्होंने पाकिस्तान के संदर्भ में कहा कि यदि इस तर्क को लागू किया जाए, तो कई देशों के पाकिस्तान के साथ संबंध भारत के लिए चिंता का कारण बन सकते हैं।

डॉ. जयशंकर ने कहा कि रूस के साथ भारत के संबंध वैश्विक ऊर्जा संकट को रोकने में मददगार रहे हैं। “यदि हमने कदम नहीं उठाए होते, तो ऊर्जा बाजार पूरी तरह से बदल जाता और वैश्विक मुद्रास्फीति में वृद्धि होती,” उन्होंने कहा।

रूस-यूक्रेन संघर्ष में भारत की भूमिका

रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष को बातचीत के माध्यम से हल करने में भारत की भूमिका पर चर्चा करते हुए, डॉ. जयशंकर ने कहा कि भारत का रूस के साथ घनिष्ठ संबंध दोनों देशों के बीच वार्ता के लिए पुल का काम करता है। “अधिकांश संघर्ष युद्ध के मैदान पर नहीं, बल्कि बातचीत के जरिए समाप्त होते हैं,” उन्होंने कहा।

भविष्य की दिशा

रूस के खिलाफ पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद, भारत ने अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देते हुए मॉस्को से तेल खरीद जारी रखी। इस पर पश्चिमी देशों की आलोचनाओं का जवाब देते हुए, डॉ. जयशंकर ने कहा कि भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को प्राथमिकता देना स्वाभाविक है। उन्होंने यह भी कहा कि रूस ने कभी भी भारत के हितों को नुकसान नहीं पहुँचाया है।

निष्कर्ष

भारत और रूस के बीच व्यापार और रणनीतिक साझेदारी में उल्लेखनीय प्रगति हुई है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में अभी भी सुधार की आवश्यकता है। दोनों देशों के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग को मजबूत करने के प्रयास, भविष्य के लिए एक सकारात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं। $100 अरब के व्यापार लक्ष्य को हासिल करने और वैश्विक संतुलन में भारत की भूमिका को सुनिश्चित करने के लिए यह साझेदारी महत्वपूर्ण है।

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