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Shikhar dhawan का संन्यास: क्रिकेट की पिच पर ‘गब्बर’ का सफर खत्म, लेकिन यादें रहेंगी हमेशा जवां

Shikhar dhawan का संन्यास: क्रिकेट की पिच पर ‘गब्बर’ का सफर खत्म, लेकिन यादें रहेंगी हमेशा जवां

शिखर धवन, जिन्हें ‘गब्बर’ के नाम से जाना जाता है, ने आखिरकार अंतरराष्ट्रीय और घरेलू क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी है। धवन ने अपने 38वें साल में इस फैसले को लिया, लेकिन उन्होंने लीग क्रिकेट, खासतौर से आईपीएल, में खेलने का संकेत दिया है।

धवन का करियर भारतीय क्रिकेट का एक ऐसा अध्याय है जिसे भुलाया नहीं जा सकता। 167 वनडे, 34 टेस्ट और 68 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में शिखर ने 269 मैचों में कुल 10,867 रन बनाए, जिसमें 24 शतक और 44 अर्धशतक शामिल हैं। भारत के सफेद गेंद के बेहतरीन सलामी बल्लेबाजों में से एक धवन का नाम हमेशा शीर्ष पर रहेगा।

क्रिकेट से जुड़े पल, जो हमेशा रहेंगे यादगार

धवन ने हिंदुस्तान टाइम्स से खास बातचीत में कहा, “यह फैसला मेरे लिए कठिन नहीं था। मैं भावुक नहीं हूं, मैं रोना नहीं चाहता। लेकिन हां, मेरे दिल में क्रिकेट के लिए बहुत प्यार और आभार है।” इस बयान से यह साफ हो जाता है कि धवन ने इस खेल से बहुत कुछ सीखा और उसे वापस भी दिया।

2004 के अंडर-19 विश्व कप में धवन ने तीन शतक लगाए और 505 रन बनाए, जिससे वे सबकी नज़रों में आ गए। हालांकि, उनके अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत 2010 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हुई, जहां वे शून्य पर आउट हो गए। लेकिन 2013 की बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में 85 गेंदों पर शतक बनाकर उन्होंने इतिहास रच दिया और अपने टेस्ट करियर का शानदार आगाज़ किया।

धवन कहते हैं, “मेरा टेस्ट डेब्यू मेरा सबसे प्रिय पल है। मैं टीम में आया और 187 रन बनाए। वह पल मेरे जीवन का सबसे यादगार पल है।” इस बयान में धवन के संघर्ष और उनके जुनून की झलक साफ देखी जा सकती है।

वनडे और ICC टूर्नामेंटों में ‘गब्बर’ का जलवा

2013 चैंपियंस ट्रॉफी धवन के करियर का सबसे बड़ा मोड़ साबित हुई। एमएस धोनी की कप्तानी में धवन और रोहित शर्मा की ओपनिंग जोड़ी ने भारत को जीत दिलाई। धवन ने 363 रन बनाए और प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब जीता। उनके इस प्रदर्शन ने साबित किया कि वे बड़े टूर्नामेंटों के खिलाड़ी हैं।

2015 के विश्व कप में भी धवन ने 51.5 की औसत से 412 रन बनाए, जिसमें दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ़ 137 रनों की पारी शामिल है। 2017 की चैंपियंस ट्रॉफी में भी धवन ने 338 रन बनाकर अपनी छाप छोड़ी। रोहित और धवन की जोड़ी सचिन-सौरव के बाद वनडे में भारत की दूसरी सबसे सफल ओपनिंग जोड़ी बन गई।

संघर्ष और संन्यास का सफर

2019 विश्व कप में धवन ने अपनी पुरानी फॉर्म को बरकरार रखा, लेकिन अंगूठे की चोट ने उन्हें टूर्नामेंट से बाहर कर दिया। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ़ उनकी 117 रन की पारी को हमेशा याद किया जाएगा, क्योंकि वह चोटिल होने के बावजूद खेलते रहे।

हालांकि, समय के साथ धवन के स्ट्राइक रेट में गिरावट आने लगी, खासकर टी20 फॉर्मेट में। आईपीएल में उनकी शानदार फॉर्म भी उन्हें भारतीय टी20 टीम में वापसी दिलाने में नाकाम रही। शुभमन गिल और ईशान किशन जैसे युवा बल्लेबाजों के उभरने के साथ, धवन धीरे-धीरे टीम से बाहर होते गए।

धवन का टेस्ट करियर भी उम्मीदों के अनुरूप नहीं रहा। 40 टेस्ट मैचों में उन्होंने 2315 रन बनाए, लेकिन कुछ यादगार पारियां जरूर खेलीं। वेलिंगटन की तेज़ और स्विंग वाली परिस्थितियों में 98 रन और श्रीलंका के खिलाफ़ गॉल में 190 रनों की पारी उनकी यादगार पारियों में से एक हैं।

अगस्त 2023 में एशियाई खेलों के लिए भारतीय टीम में नहीं चुने जाने पर धवन ने ‘हैरानी’ जताई, लेकिन उनका टीम में वापस आना मुश्किल ही लग रहा था। धवन ने खुद भी स्वीकार किया कि उनका भारतीय टीम के साथ सफर लगभग खत्म हो गया है।

‘गब्बर’ का क्रिकेट को अलविदा

शिखर धवन का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास एक युग का अंत है। वह खिलाड़ी जिसने न केवल भारतीय टीम को जीत दिलाई बल्कि अपने आक्रामक और निडर अंदाज़ से क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में खास जगह बनाई। अब जबकि ‘गब्बर’ क्रिकेट से विदा ले चुके हैं, उनकी पारियां, उनकी मुस्कान और उनकी खास दाढ़ी हमेशा क्रिकेट प्रेमियों की यादों में ताजा रहेंगी।

संन्यास के बाद क्या?

धवन ने संकेत दिया है कि वह लीग क्रिकेट, खासकर आईपीएल में खेलना जारी रखेंगे। इस फैसले से उनके प्रशंसकों को थोड़ी राहत जरूर मिलेगी, क्योंकि वह अभी भी मैदान पर धवन के जलवे देख सकेंगे।

शिखर धवन का करियर प्रेरणादायक रहा है और उनके योगदान को भारतीय क्रिकेट कभी नहीं भुला सकता। ‘गब्बर’ ने जिस जुनून और जज्बे के साथ खेला, वह आने वाले खिलाड़ियों के लिए एक मिसाल रहेगा।

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