इजरायली युद्धपोत के Suez canal पार करने पर मचा बवाल, मिस्र ने दी प्रतिक्रिया
मिस्र के स्वेज नहर (Suez canal) प्राधिकरण ने रविवार को यह घोषणा की कि सभी जहाजों, चाहे वो वाणिज्यिक हों या सैन्य, को स्वेज नहर से स्वतंत्र रूप से गुजरने का अधिकार है। यह बयान तब आया जब एक वीडियो में एक इजरायली युद्धपोत को स्वेज नहर से गुजरते हुए दिखाया गया, जिस पर लोगों ने नाराज़गी जाहिर की।
मिस्र के स्वेज नहर (Suez canal) प्राधिकरण ने बताया कि इस इजरायली पोत ने दक्षिण की ओर बढ़ते समय इजरायली और मिस्र के झंडे दोनों को प्रदर्शित किया, जो स्वेज नहर के नियमों के अनुसार आवश्यक होता है। इस तरह के मामलों में, जहाज को अपने पंजीकरण देश के झंडे के साथ मेज़बान देश का झंडा भी प्रदर्शित करना होता है।
प्राधिकरण ने एक बयान में कहा, “स्वेज नहर प्राधिकरण अंतरराष्ट्रीय संधियों का पालन करता है जो सभी जहाजों के लिए, चाहे वो वाणिज्यिक हों या सैन्य, स्वेज नहर से गुजरने का अधिकार सुनिश्चित करती हैं, भले ही उनकी राष्ट्रीयता कोई भी हो।” यह बयान सोशल मीडिया पर इजरायली सेना द्वारा गाजा पर हमलों को लेकर मिस्र की निष्क्रियता की आलोचनाओं के बीच आया।
मिस्र, जो 1979 में इजरायल के साथ शांति संधि पर हस्ताक्षर करने वाला पहला अरब देश था, गाजा युद्ध के बाद से इजरायल के साथ अपने संबंधों में तनाव महसूस कर रहा है। प्राधिकरण के बयान में 1888 की कॉन्स्टेंटिनोपल संधि का हवाला दिया गया, जिसमें यह निर्धारित है कि स्वेज नहर हमेशा सभी देशों के लिए मुक्त रहेगी, चाहे वो किसी भी ध्वज के अंतर्गत आते हों।
मिस्र की सेना की प्रतिक्रिया
मिस्र की सेना ने सोशल मीडिया पर कुछ अटकलों का खंडन किया, जिसमें कहा जा रहा था कि मिस्र इजरायल को उसकी सैन्य गतिविधियों में मदद कर रहा है। सेना ने कहा, “मिस्र की सशस्त्र बल इस बात का खंडन करती हैं कि हम इजरायल की सैन्य गतिविधियों में कोई सहायता कर रहे हैं।” यह बयान उन रिपोर्टों के बाद आया जिनमें कहा गया था कि अलेक्जेंड्रिया के बंदरगाह में इजरायल के लिए विस्फोटक सामग्री ले जाने वाले जहाज की डॉकिंग की गई थी।
मिस्र के परिवहन मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि जहाज मिस्र के रक्षा मंत्रालय के लिए कार्गो लेकर आया था और उसने तुर्की जाने की अनुमति मांगी थी। इसके साथ ही, मिस्र ने BDS आंदोलन द्वारा लगाए गए आरोपों का भी खंडन किया, जिसने दावा किया कि इस जहाज में इजरायल के लिए सैन्य सामग्री भेजी जा रही थी।
स्थानीय प्रतिक्रिया और विरोध प्रदर्शन
कैरो में पत्रकार संघ की सीढ़ियों पर एक छोटे समूह ने विरोध प्रदर्शन किया, जहां उन्होंने इजरायल की सैन्य गतिविधियों और मिस्र के कथित सहयोग के प्रति अपना विरोध जताया। प्रदर्शनकारियों का मानना है कि इजरायली युद्धपोत का मिस्र के जलमार्ग से गुजरना गाजापट्टी के निवासियों के लिए खतरा है।
प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाए और मिस्र से अधिक कड़ा रुख अपनाने की मांग की। वे चाहते हैं कि मिस्र फिलिस्तीन के पक्ष में खड़ा हो और इजरायल की सैन्य गतिविधियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए।
हाल के सप्ताहों में गाजा में बिगड़ते हालात और इजरायली हमलों ने मिस्र में भी लोगों में नाराजगी बढ़ा दी है। मिस्र की सरकार के कथित रूप से इजरायल को स्वेज नहर और अन्य मार्गों का उपयोग करने की अनुमति देने के कारण देश के नागरिकों में आक्रोश देखा जा रहा है।
मिस्र की भूमिका पर संदेह
मिस्र में सामाजिक और राजनीतिक आंदोलन BDS (बॉयकॉट, डाइवेस्टमेंट और सैंक्शन्स) ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इजरायल पर आर्थिक दबाव डालने की पहल की है। इस आंदोलन का मानना है कि मिस्र जैसे देशों को इजरायल के साथ अपने संबंधों पर पुनर्विचार करना चाहिए, खासकर जब उनकी गतिविधियाँ गाजा के लोगों के लिए हानिकारक मानी जाती हैं।
यह विरोध प्रदर्शन केवल स्थानीय भावनाओं का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह मध्य-पूर्व की राजनीतिक और सामाजिक जटिलताओं को भी दर्शाता है। मिस्र के नागरिकों के लिए यह एक ऐसा मुद्दा बन गया है जो फिलिस्तीनी अधिकारों की रक्षा की मांग करता है और अपनी सरकार से अधिक संवेदनशील और सशक्त कदमों की अपेक्षा करता है।