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तुलसी गबार्ड (Tulsi Gabbard) : अमेरिका की खुफिया एजेंसियों की नई प्रमुख

अमेरिका की राजनीति और खुफिया समुदाय में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है, जब राष्ट्रपति-चुनाव डोनाल्ड ट्रंप ने तुलसी गबार्ड (Tulsi Gabbard) को अपने दूसरे कार्यकाल के लिए नेशनल इंटेलिजेंस के निदेशक (Director of National Intelligence) के रूप में नियुक्त किया। यह नियुक्ति न केवल उनकी राजनीतिक यात्रा में एक और बड़ी उपलब्धि है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे उनकी नीतियां और दृष्टिकोण अमेरिका की खुफिया रणनीतियों को नया रूप दे सकते हैं। गबार्ड अब 18 खुफिया एजेंसियों की निगरानी करेंगी, जो अमेरिका की सुरक्षा और रणनीति के लिए महत्वपूर्ण हैं।

तुलसी गबार्ड: कौन हैं और क्यों हैं खास?

प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि

तुलसी गबार्ड का जन्म 12 अप्रैल 1981 को अमेरिकन समोआ के लेलोआलोआ में हुआ। उनके परिवार ने जब हवाई में बसने का फैसला किया, तो उनकी परवरिश हवाई की सांस्कृतिक विविधता और हिंदू परंपराओं के मेल से हुई। उनकी मां ने हिंदू धर्म अपनाया और तुलसी को इसी परंपरा में पाला। तुलसी का नाम हिंदू धर्म में पवित्र तुलसी के पौधे पर रखा गया है, जो उनकी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को दर्शाता है।

उनके पिता माइक गबार्ड, एक प्रमुख राजनीतिज्ञ हैं, जिन्होंने डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टियों दोनों के साथ काम किया। किशोरावस्था में तुलसी ने “हेल्दी हवाई कोएलिशन” की स्थापना की, जो पर्यावरण सुरक्षा और जागरूकता के लिए समर्पित था। उन्होंने 2009 में हवाई पेसिफिक यूनिवर्सिटी से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।

सैन्य सेवा: साहस और नेतृत्व का प्रतीक

तुलसी गबार्ड का सैन्य करियर उनकी नेतृत्व क्षमता का एक प्रमुख उदाहरण है। उन्होंने 2003 में अमेरिकी सेना के नेशनल गार्ड में शामिल होकर सेवा शुरू की। इराक और कुवैत में उनकी तैनाती ने उन्हें असाधारण अनुभव और सम्मान दिलाया।

  • कॉम्बैट मेडिकल बैज: 2005 में उन्हें इराक में अपनी सेवाओं के लिए “कॉम्बैट मेडिकल बैज” से सम्मानित किया गया।
  • उनके सैन्य अनुभव ने उन्हें सुरक्षा और खुफिया मामलों में गहरी समझ प्रदान की, जो अब उनकी नई भूमिका में काम आएगी।

राजनीतिक करियर: पहली हिंदू कांग्रेस सदस्य

गबार्ड ने 21 साल की उम्र में हवाई राज्य प्रतिनिधि के रूप में राजनीति में कदम रखा। यह शुरुआत उनके राजनीतिक दृष्टिकोण को परिभाषित करती है।

  • वे अमेरिकी कांग्रेस की पहली हिंदू सदस्य बनीं।
  • भगवद् गीता पर शपथ लेने के कारण वे वैश्विक स्तर पर सुर्खियों में आईं।
  • उनकी पहचान न केवल उनकी धार्मिक जड़ों से जुड़ी रही, बल्कि उनकी सक्रिय नीतियों और विचारों से भी।

राष्ट्रपति पद के लिए दौड़ और डेमोक्रेटिक पार्टी से अलगाव

2020 में तुलसी ने डेमोक्रेटिक पार्टी से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए अपनी दावेदारी पेश की। हालांकि, विदेशी सैन्य हस्तक्षेप और अन्य मुद्दों पर उनके विचार मुख्यधारा के डेमोक्रेटिक दृष्टिकोण से मेल नहीं खाते थे।

  • उन्होंने अंततः जो बाइडेन का समर्थन किया, लेकिन बाद में 2022 में पार्टी छोड़ दी।
  • उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी को “अमेरिकी मूल्यों से दूर” बताया।

ट्रंप के साथ उनकी नई भूमिका

2023 में तुलसी ने डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन किया और रिपब्लिकन पार्टी की सदस्य बन गईं। ट्रंप ने उन्हें “साहसी और निडर” नेता कहा, जो अमेरिकी खुफिया समुदाय में बदलाव लाने में सक्षम हैं।

गबार्ड की हिंदू समुदाय और अल्पसंख्यकों के प्रति प्रतिबद्धता

तुलसी गबार्ड ने बार-बार हिंदू और अन्य अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए आवाज उठाई है।

  • बांग्लादेश और पाकिस्तान में हिंदू अल्पसंख्यकों का मुद्दा: उन्होंने 2021 में अमेरिकी कांग्रेस में एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की मांग की गई थी।
  • पाकिस्तान की आलोचना: उन्होंने पाकिस्तान को आतंकवाद का समर्थन करने और हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार के लिए जिम्मेदार ठहराया।
  • उन्होंने अमेरिकी सैन्य सहायता को सीमित करने और पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाने के लिए काम किया।

टेरर फंडिंग रोकने की पहल

2017 में गबार्ड ने “स्टॉप आर्मिंग टेररिस्ट्स एक्ट” पेश किया। यह प्रस्ताव सीरिया और अन्य क्षेत्रों में आतंकवादी समूहों को अमेरिकी फंडिंग रोकने के उद्देश्य से था।

उनकी नई भूमिका: उम्मीदें और चुनौतियां

तुलसी गबार्ड की नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब वैश्विक खुफिया समुदाय कई चुनौतियों का सामना कर रहा है।

  • साइबर सुरक्षा: रूस, चीन और अन्य देशों से साइबर खतरों के बीच उनकी भूमिका अहम होगी।
  • अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद: गबार्ड का अनुभव और स्पष्ट दृष्टिकोण अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को नई रणनीतियाँ तैयार करने में मदद करेगा।
  • यूक्रेन युद्ध पर नजर: यूक्रेन युद्ध के प्रति उनकी आलोचनात्मक दृष्टि ने पहले विवाद पैदा किया, लेकिन अब यह अमेरिका की खुफिया रणनीति को प्रभावित कर सकता है।

निष्कर्ष

तुलसी गबार्ड का जीवन साहस, सेवा, और निडरता का प्रतीक है। अमेरिकी खुफिया समुदाय की अगली प्रमुख के रूप में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण होगी। उनका अनुभव और विचारशील नेतृत्व न केवल अमेरिकी सुरक्षा को मजबूत करेगा बल्कि खुफिया एजेंसियों के कामकाज में भी सुधार लाएगा।

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