“Mithun Chakraborty को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार: बेटे मिमोह बोले- ‘वह इस सम्मान के पूरी तरह हकदार हैं'”
भारतीय सिनेमा के दिग्गज अभिनेता Mithun Chakraborty को उनके अतुलनीय योगदान के लिए दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। इस खबर से उनके बेटे मिमोह चक्रवर्ती बेहद भावुक और गर्वित हैं। उन्होंने अपने पिता के करियर को लेकर कहा कि यह सम्मान पूरी तरह से ‘सही समय पर और सही व्यक्ति को’ मिला है।
Mithun Chakraborty का नाम भारतीय सिनेमा के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। 2024 के 70वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में उन्हें यह प्रतिष्ठित सम्मान प्रदान किया जाएगा। यह समारोह 8 अक्टूबर को आयोजित होगा, जहां यह बड़ा सम्मान मिथुन दा को उनके बेमिसाल करियर और योगदान के लिए दिया जाएगा। इस मौके पर उनके बेटे मिमोह चक्रवर्ती ने अपनी भावनाएं साझा करते हुए mid-day.com से बातचीत में कहा, “मैं पूरी तरह से अभिभूत और कृतज्ञ हूं। इस पल में होना ही मेरे लिए बहुत खास है। यह बस एक आशीर्वाद की तरह है कि मेरे पिता को इतने बड़े सम्मान से नवाजा जा रहा है, जो पूरी तरह से उनके लिए योग्य है। मेरे लिए यह अनुभव शब्दों से परे है।”
मिथुन चक्रवर्ती को आखिरकार भारतीय सिनेमा का सबसे बड़ा सम्मान मिल रहा है, इस पर मिमोह ने गर्व जताते हुए कहा, “मैं सरकार का बहुत आभारी हूं कि उन्होंने पापा को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार दिया। वह उन गिने-चुने अभिनेताओं में से हैं जिन्होंने भारतीय सिनेमा को वैश्विक मान्यता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह बहुत समय से लंबित था और अब समय आ गया है कि उन्हें इस सम्मान से नवाजा जाए। इस साल उन्होंने पद्म भूषण और अब दादा साहेब फाल्के पुरस्कार दोनों हासिल किए हैं, यह हमारे परिवार के लिए गर्व का क्षण है।”
मिमोह ने अपने पिता की सादगी भरी जीवनशैली के बारे में बताते हुए कहा, “जब हम LA में अपने भाई-बहनों से मिलने जाते हैं, तो हमें उन्हें जबरदस्ती कपड़े खरीदने के लिए स्टोर में ले जाना पड़ता है। वह इतने साधारण जीवन जीते हैं। यहां तक कि जब फोन की बात आती है, तो हमें उन्हें फोन अपग्रेड करने के लिए मजबूर करना पड़ता है। उनका पुराना फोन बंद हो रहा था, इसलिए मैंने उन्हें नया लेने के लिए मना लिया। वह भव्य जीवन जीने में विश्वास नहीं रखते। उनके लिए ईमानदारी से जीवन जीना और हर काम में पूरी ईमानदारी से जुटना ही महत्वपूर्ण है।”
मिथुन दा, जैसा कि उन्हें प्यार से पुकारा जाता है, ने 1976 में अपनी पहली फिल्म ‘मृगया’ से बॉलीवुड में कदम रखा। इस फिल्म में एक संथाल विद्रोही की भूमिका के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला। इसके बाद, उन्होंने ‘तहदर कथा’ (1992) और ‘स्वामी विवेकानंद’ (1998) के लिए भी राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीते। फिल्मों के साथ-साथ मिथुन चक्रवर्ती का संगीत और नृत्य में भी योगदान अतुलनीय रहा है। उनके सुपरहिट गाने जैसे ‘आई एम ए डिस्को डांसर’, ‘जिमी जिमी’, और ‘सुपर डांसर’ आज भी लोगों की ज़ुबान पर रहते हैं। उनकी हालिया फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ भी जबरदस्त हिट रही।
2024 में यह दिग्गज अभिनेता 74 वर्ष की आयु में भारतीय सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से नवाजे जाएंगे। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने X (पूर्व में ट्विटर) पर यह खबर साझा की। उन्होंने लिखा, “मिथुन दा की अद्वितीय फिल्मी यात्रा पीढ़ियों को प्रेरित करती है। यह घोषणा करते हुए सम्मानित महसूस हो रहा है कि दादा साहेब फाल्के चयन जूरी ने भारतीय सिनेमा में उनके प्रतिष्ठित योगदान के लिए उन्हें यह पुरस्कार देने का निर्णय लिया है।”
साल 2024 मिथुन दा के लिए बेहद खास रहा है। इससे पहले उन्हें देश का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्म भूषण भी प्रदान किया गया। मिथुन चक्रवर्ती, जो कभी तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य रह चुके थे, 2021 में भाजपा में शामिल हुए। भारतीय सिनेमा में उनके सफर की शुरुआत 1976 में ‘मृगया’ से हुई थी। इसके बाद, उन्होंने ‘तहदर कथा’ और ‘स्वामी विवेकानंद’ जैसी फिल्मों के लिए दो और राष्ट्रीय पुरस्कार अपने नाम किए।
मिथुन दा की फिल्मों में कलात्मक सिनेमा और व्यावसायिक फिल्मों का एक अनोखा संगम देखने को मिला। ‘डिस्को डांसर’ और ‘डांस डांस’ जैसी फिल्मों के जरिए वह बॉक्स ऑफिस पर सफलता की बुलंदियों पर पहुंचे, वहीं उन्होंने अग्निपथ, मुझे इंसाफ चाहिए, हमसे है जमाना, घर एक मंदिर, और कसम पैदा करने वाले की जैसी फिल्मों में अपने अभिनय का जादू बिखेरा। हाल के वर्षों में उन्होंने टेलीविजन पर डांस रियलिटी शोज में जज के रूप में भी नई पहचान बनाई है, जिससे उनकी लोकप्रियता नई पीढ़ी तक फैली है।
मिथुन दा को मिलने वाले इस सम्मान के साथ, वह उन दिग्गज कलाकारों की सूची में शामिल हो गए हैं, जिनमें अमिताभ बच्चन, वहीदा रहमान, रेखा, आशा पारेख, और रजनीकांत जैसे नाम शामिल हैं। भारतीय सिनेमा में उनके योगदान को यह पुरस्कार एक सम्मानजनक स्वीकृति है, जो उनके बेमिसाल करियर और कड़ी मेहनत का परिणाम है।