Singer Rashid Khan

जाने कैसे  हुआ मशहूर Singer Rashid khan का निधन 

Singer Rashid Khan

मशहूर संगीतकार और शास्त्रीय संगीत के प्रतिभाशाली कलाकारों में से एक उस्ताद राशिद खान का निधन हो गया। 55 साल की उम्र में उन्होंने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया है। बता दें कि सिंगर का लंबे समय से हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था। वह कोलकाता के एक बड़े हॉस्पिटल में भर्ती थे और उन्हें वेंटिलेटर और ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया था। काफी कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया न जा सका | चार साल से अधिक समय तक कैंसर से जूझने के बाद मंगलवार को कोलकाता में निधन हो गया। दिवंगत सिंगर उस्ताद राशिद खान काफी समय से प्रोस्टेट कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे। दिसंबर से तबीयत काफी बिगाड़ने पर उन्हें हॉस्पिटलाइज कराया गया। 23 दिसंबर को उनके हॉस्पिटलाइज होने की खबरें आईं। हालांकि वहां भी हालत लगातार खराब रही और आखिरकार उन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया और नौबत वेंटिलेटर तक पहुंच गई।

उन्हें 21 नवंबर को स्ट्रोक हुआ था। इसके बाद से ही वह अस्पताल में भर्ती थे | राशिद खान के निधन से संगीत जगत में शोक की लहर है

मुंबई के टाटा मेमोरियल कैंसर अस्पताल में चला था इलाज

ख़बरों के मुताबिक शुरुआती इलाज मुंबई के टाटा मेमोरियल कैंसर अस्पताल में चला, लेकिन बाद में उन्हें कोलकाता शिफ्ट किया गया। उनके परिवार में उनका बेटा, दो बेटियां और पत्नी हैं। बॉलीवुड की हिट फिल्म जब वी मेट के गाने “आओगे जब तुम” के लिए जाने किया जाता है याद |

 

संभवतः रामपुर सहसवान घराने(गायन की शैली) से ताल्लुक रखने वाले आखिरी गायक थे, राशिद खान को संगीत सम्राट मियां तानसेन की 31 वीं पीढ़ी के रूप में मान्यता दी गई थी, जैसा कि उनकी आधिकारिक वेबसाइट पर बताया गया है।

उत्तर प्रदेश के बदायूँ में जन्मे राशिद खान की शुरुआती तालीम उनके नाना उस्ताद निसार हुसैन खान से हुई। अप्रैल 1980 में, वह 10 साल की उमर में ही अपने दादा के साथ कोलकाता चले गए जहां उनकी उनकी मुलाकात निसार हुसैन खान से हुई।

राशिद खान का पहला संगीत कार्यक्रम तब हुआ जब वह सिर्फ 11 वर्ष के थे और 1994 तक उन्हें एक संगीतकार के रूप में पहचान मिल गई थी।

कम उम्र से ही हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत से गहराई से प्रभावित राशिद खान ने अपने दादा-दादी इनायत हुसैन खान के मार्गदर्शन में संगीत की शिक्षा शुरू की।

हिंदुस्तानी गायन में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए,उन्होंने शाहरुख खान की फिल्म ‘माई नेम इज’के अलावा ‘राज 3’, ‘कादंबरी’, ‘शादी में जरूर आना’, ‘मंटो’ से लेकर ‘मीटिन मास’ जैसी फिल्मों में भी अपनी शानदार आवाज का जादू खूब चलाया है और सुपरहिट गानों से फिल्म्स को ब्लॉकबस्टर बनने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।

राशिद खान को उनके इन्नोवेशन दृष्टिकोण, सूफी जैसी शैलियों के साथ हिंदुस्तानी गायन का मिश्रण और पश्चिमी इंस्ट्रूमेंट वादक लुईस बैंक्स के साथ सहयोग करने के लिए पहचाना गया। उन्होंने सितार वादक शाहिद परवेज के साथ जुगलबंदी की।

पद्म श्री और पद्म भूषण पुरस्कारों के अलावा, राशिद खान को 2012 में पश्चिम बंगाल सरकार के राजकीय सम्मान, बंगाभूषण से सम्मानित किया गया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *