Vinesh Phogat: साहस की मिसाल और पेरिस ओलंपिक 2024 से अयोग्यता का सबक

पेरिस ओलंपिक 2024 से विनेश फोगाट की अयोग्यता की खबर ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। यह वही विनेश हैं जिन्होंने अपने हौसले और मेहनत से कुश्ती के मैदान में इतिहास रचा है।

जब उनका वजन 50 किलोग्राम की अनुमेय सीमा से मात्र 100 ग्राम अधिक निकला, तो विनेश को अयोग्य ठहराया गया। यह खबर उस समय आई जब विनेश ने दुनिया की नंबर एक और मौजूदा चैंपियन युई सुसाकी को मात देकर सबको चौंका दिया था। पूरा देश विनेश की सफलता का जश्न मनाने की तैयारी कर रहा था, जब इस अयोग्यता की खबर ने सबको स्तब्ध कर दिया।

विनेश ने भारतीय प्रशिक्षकों वीरेंद्र दहिया और मंजीत रानी से मुलाकात कर कहा, “यह खेल का हिस्सा है।” उनकी इस सकारात्मक सोच ने सभी को प्रोत्साहित किया।

भारतीय कुश्ती के लिए झटका

इस घटना के कुछ ही घंटों बाद, अंतिम पंघाल भी महिलाओं की 53 किलोग्राम श्रेणी के पहले दौर में हार गईं। कोच ने बताया कि पंघाल अपने खेल की लय में नहीं दिखीं।

विनेश का सफर

29 वर्षीय विनेश ने मंगलवार की रात को स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया था। यह जीत उन्हें एक नई ऊँचाई पर ले गई थी, लेकिन बुधवार की सुबह वजन की जाँच में असफल होने के कारण उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा। गंभीर निर्जलीकरण के कारण उन्हें खेल गांव के अंदर स्थित पॉलीक्लिनिक में ले जाना पड़ा।

एक भारतीय कोच ने बताया, “आज सुबह उनका वजन 100 ग्राम अधिक था। नियम इसकी अनुमति नहीं देते और उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया।” भारतीय ओलंपिक संघ ने विनेश की निजता का अनुरोध करते हुए कहा कि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है और टीम उनकी वापसी के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।

विनेश फोगाट की कहानी हम सबके लिए एक प्रेरणा है। उन्होंने यह साबित कर दिया कि असफलता भी एक सीख होती है और यह खेल का हिस्सा है। हम उम्मीद करते हैं कि वह भविष्य में और भी मजबूत होकर लौटेंगी। यह घटना भारतीय खेल जगत को यह समझने की आवश्यकता है कि किसी भी परिस्थिति में एथलीटों को मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार रहना चाहिए।

विनेश की अदम्य इच्छाशक्ति और सकारात्मक सोच उन्हें एक महान खिलाड़ी बनाती है। आने वाले मुकाबलों में वह अपनी सभी चुनौतियों का सामना पूरे आत्मविश्वास के साथ करेंगी।

 

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